Friday, February 12, 2016

अपनी शक्ती को पहचाने

बंधुओ.....👏🏻

एक बार एक बहुत ही ऊँचे पहाड़ पर एक बाज़ का घोंसला था और उसमे बहुत बड़े-बड़े 4 अंडे थे, जिनमे से कुछ ही दिनों में बच्चे निकलने वाले थे I
तभी एक दिन अचानक से पहाड़ की चट्टानें भूकंप से हिलने लगी,और घोंसले में से एक अंडा नीचे लुढ़क गया और नीचे रहने वाले एक किसान के मुर्गियों के बीच चला गया I
उस अंडे को देख उन सभी मुर्गियों को बहुत ही हैरानी हुई, उन्हें ज्यादा कुछ समझ नहीं आया पर फिर भी उन्होंने उस अंडे को बचाने का बीड़ा उठाया और कुछ ही दिनों में उसमे से एक छोटा सा बाज़ का बच्चा निकला I
मुर्गियों ने उस बाज़ के बच्चे को मुर्गियों की तरह ही पाला और अपने साथ रखा, धीरे धीरे समय बीता और बाज़ बड़ा हो गया I उसे अपने परिवार के साथ अच्छा तो लगता था, पर कुछ अकेलापन सा महसूस करता था एक दिन उसने आसमान में कुछ दुसरे बाजों को उड़ते हुए देखा और उसके मन में उड़ने कि एक लहर दौड़ पड़ी , वो सोचने लगा कि काश वो भी उन पंछियों कि तरह आकाश में उड़ पाता पर उसकी ऐसी सोच पर मुर्गियों ने उसका मजाक उड़ाया I और कहा “ तुम एक मुर्गी हो तुम इतनी ऊपर नहीं उड़ सकते बेकार के सपने देखना बंद करो” ऐसा कई बार हुआ बाज़ उड़ने की बात करता, और मुर्गिया उसका हौसला बिगाड़ देती I
आखिर बाज़ ने उड़ने का सपना छोड़ दिया, और एक साधारण सी मुर्गी का जीवन यापन करने लगा I उसे अपनी शक्ति का भी एहसास नहीं था और न ही कभी हुआ, क्योंकि उसके साथी उसे कभी वो करने ही नहीं देते थे जो वो करना चाहता था I
पर गलती क्या मुर्गियों की थी ?
नहीं उन्हें तो लगता था की बाज भी एक मुर्गी ही है, और उसकी अपनी सीमाए है I
तो क्या गलती बाज की थी ? नहीं ऐसा भी नहीं है, पर ये बात जरुर है की वो चाहता तो उड़ने की कोशिश कर सकता था I अपने अन्दर के विश्वास से वो अपने सपने पुरे कर सकता था, जो उसने नहीं किया I
और अंत में उसकी मृत्यु एक मुर्गी की तरह हो गयी.
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कुछ इसी तरह की स्थिति आज हमारी भी हो गई है !
हम क्या है ? हमारी उत्पत्ति कहा से है ? हमारे अंदर कितनी कलाएं और योग्यताएँ छुपी है ? हम कितनी उची उड़ान भर सकते है ?

इसे स्वयं जानने की बजाय हम दूसरों की कहि-सुनी बातों पर अधिक विश्वास करते है I
अगर हमने भी अपने अंदर के विश्वास को नहीं जगाया, तो हमारी स्थिति बाज के उस बच्चे की तरह ही होगी I

अपने आप को, अपनी शक्ति जाने और पहचाने ....!!!
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आपका
विजय सुथार
http://vijaysuthar2001.blogspot.com
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